( तर्ज - नैनोके भीतर नीला बीच ० )
चल कदम बढाकर आगे ,
दिल रँगवाके काम कर ॥ टेक ॥
क्यों विषय - लोभमें चटका ?
फिर काल बजावे फटका ।
मिले जनम मरणका झटका ,
कहना मेरा मानकर ॥ १ ॥
क्या जरा लगाता नाता ?
अंतमें अकेला जाता ।
बिन हरी जिया घबराता ,
भज हरिगुणको जान कर ॥२ ॥
बालापन खेल गमाया ,
तारुण विषयनमें खोया ।
वूढापन रोग सताया ,
माया लपटी आनकर ॥३ ॥
कहे तुकड्या सबकी रीती ,
ये मिलती है परतीती ।
तू जान मिला मजबूती ,
हरि - गुण गा ले ध्यान कर ॥४ ॥
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